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Ashwagandha ki kheti kaise kare

दोस्तों अश्वगंधा की खेती करके आजकल किसान बहुत पैसे कमा रहे हैं और दोस्तों आपने जैसा सोचा नहीं है उससे भी ज्यादा किसमें मुनाफा होने की वजह से इसे कैश कोर्प भी कहते हैं 

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दोस्तों किसानों की उम्र बढ़ाने के लिए और किसान पैसा कमाए इसलिए हमारी सरकार किसानों के लिए एक और योजना की शुरुआत कर चुकी है और दोस्तों जो किसान खेती कर रहे हैं उसको प्रोत्साहन भी हमारी सरकार कर रही है और ऐसा करने से जो किसान खेती कर रहे हैं उस को बढ़ावा मिलता है और वह अपनी कमाई से अपना अच्छा जीवन गुजार सकते हैं और औषधि से भरपूर अश्वगंधा किसान खेती करते हैं तो उसको जब बेचते है तो उससे बड़ी कमाई भी आसानी से कर पाते हैं और किसान विचार ते नहीं है उससे भी ज्यादा उन लोगों को पैसा मिलता है इसलिए इसे कैश कॉर्प इसको भी कहते हैं 

दोस्तों अश्वगंधा एक अद्वितीय गंध और हमारे शरीर में ताकत बढ़ाने के लिए और क्षमता रखने वाला एक पौधा माना जाता है और अश्वगंधा का वानस्पतिक नाम कहे तो विथानिया शोमरीफेरा हैं और अश्वगंधा महिलाओं के लिए सबसे लाभदायक मानी जाती है और अश्वगंधा का उपयोग करके बहुत औषधि बनाई जाती है और उसके साथी दवाइयां भी बहुत बनाई जाती है और ऐसा क्यों है कि इसकी मांग मार्केट में सबसे ज्यादा होती है और अश्वगंधा के जो फल के बीज, पते, छाल, डंठल और जड़ों की बहुत मार्केट में बिक्री होती है और कीमत की बात करें तो कीमत भी बहुत ज्यादा मिलती है और किसान को अश्वगंधा की खेती हुई है तो उसको प्रोत्साहन मिले इसलिए हमारी सरकार उनको बहुत मदद के रूप में योजनाएं बनाती है 

तनाव और चिंता दूर करने में होता मददगार

दोस्तों अश्वगंधा का पत्ता एक जाडिदार पौधा माना जाता है और वृद्ध यानी कि बहु वर्षीय पौधा अश्वगंधा को कहते हैं और अश्वगंधा का जो फल, बिज और छाल यह सब का उपयोग बहुत सारी दवाइयों में होता है और उसके जड़ से आपको अश्व जैसी गंध महसूस होती है और यह गंद की वजह से इसे अश्वगंधा कहते हैं और अश्वगंधा सभी जड़ी बूटियों में सबसे अवल नंबर पर है और अश्वगंधा का उपयोग करते हैं तो तनाव और चिंता को भगाने में अश्वगंधा सबसे फायदेमंद माना जाता है और आपको बाजार में अश्वगंधा आसानी से मिल जाता है 

खेती के लिए किन बातों का रखना होता है ध्यान ?

दोस्तों अगर आपको अश्वगंधा की खेती करनी है तो उसके लिए आपको जमीन बलुई दोमट और लाल मिट्टी मैं आप खेती करते हैं तो आपको बहुत फायदा होता है और यह मिट्टी की पीएच देखे तो 7.5 से 8 के बीच होता है जो आपके जमीन के लिए बहुत पैदावार अच्छा होता है और जो गर्म प्रदेश होते हैं उसके अंदर तैयारी की जाती है और अश्वगंधा की खेती के लिए आपको 25 से 30 डिग्री का तापमान चाहिए और उसके साथी 500 से 800 मिली लीटर वर्षा की भी जरूरी होती है और पौधे को सही पोषण मिले उसके लिए आपके खेतर में वृद्धि की नमी होनी चाहिए और जब शरद ऋतु आती है उसमें एक से 2 महीने में जोड़ों का अच्छा विकास होने लगता है और जो पर्वतीय एरिया होते हैं वहां भी इसका खेती किया जाता है और वह भी सफलतापूर्वक होता है 

कब और कैसे करें अश्वगंधा की खेती ?

अश्वगंधा का आयोजन करने के लिए आप अगस्त का महीना जब आता है वह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है और यह करने के लिए जब आप के खेत में एक से दो बार बारिश अच्छा होता है उसके बाद आप के खेत में आप जुताई के बाद जमीन को समतल करके पाटा कर सकते हैं और जब जुताई होती है उस दौरान खेत में जैविक खाद होता है वह डाला जाता है और जुताई के समय 10 से 12 किलो बीच प्रतिएकर में यूज होता है और सामान्यत बात करें तो बीच का जो अंकुरण होता है वह 7 से 8 दिन में डेफिनेटली हो जाता है और जो बीच 8 से 12 महीने के पुराने है उसका जमाव बात करें तो 70 से 80 प्रतिशत होता है 

दो तरीके से होती है बुआई

दोस्तों अश्वगंधा की फसल जो होती है उसकी बुआई दो तरीके से होती है और उसमें जो पहला तरीका है वह कतार विधि के रूप में है और उसमें पौधे से पौधे की जो सेंटीमीटर होता है वह 5 सेंटीमीटर रखना है और लाइन से लाइन है वह आपको 20 सेंटीमीटर रखना जरूरी है और जो दूसरा तरीका है वह छिड़काव विधि है और यह विधि से सबसे ज्यादा अच्छे तरीके से बुआई होती है और इसमें हल्की जुताई आपको करनी है और रेत मिलाकर अपने खेत में छिड़कना है और एक वर्क होता है उसके अंदर 30 से 40 के बीच पौधे बुआई जाते हैं

जनवरी से मार्च तक चलती है कटाई

दोस्तों आप की बुआई हो गई है उसके बाद अश्वगंधा की कटाई शुरू होती है वह जनवरी से लेकर मार्च तक होती है और इसमें पौधे को उखाडा जाता है और जो पौधा होता है उस को जड़ से अलग करना होता है और आपने पौधे को जड़ से काटा है उसको छोटे-छोटे टुकड़ों में करके सुखाना होता है और बाद में जो फल है उसके बीच और सूखे पत्ते हैं उसको अलग-अलग करना होता है और यह सभी का भी बहुत उपयोग किया जाता है और जो अश्वगंधा की जड़ होती है वह कम से कम 600 से 800 किलोग्राम और अश्वगंधा का जो बीच होता है वह 50 किलोग्राम प्रति ऐकर में मिलता है और दोस्तों अगर आपको अश्वगंधा को बेचना है तो आप अश्वगंधा को मंडी में लेकर जाकर या दवा बनाने वाली कंपनी या फिर औषधि बनाती है वह कंपनी को आप अपने हिसाब से बेच सकते हैं 

निष्कर्ष

दोस्तों मैंने आपको इस आर्टिकल में बताया कि अश्वगंधा की खेती कैसे होती है और आपने हमारा इस आर्टिकल को पूरा पढ़ा है तो आपके समझ में आ गया होगा कि अश्वगंधा की खेती आखिर कैसे होती है और आपको इस आर्टिकल को अपने फ्रेंड या फिर अपने फैमिली के साथ जरूर शेयर करना है क्योंकि यह नॉलेज उन लोगों को भी मिल जाए और आपको इस आर्टिकल में कुछ भी तकलीफ है तो आप हमें नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं हम उस कमेंट का जवाब जरूर देंगे और आपको इस आर्टिकल को सोशल मीडिया पर इतना वायरल कर देना है कि आपके एक शेयर करने की वजह से बहुत लोगों का फायदा हो सके तो मिलते हैं अगले आर्टिकल में तब तक के लिए धन्यवाद

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