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Dhanteras ki Puja kaise kare

दोस्तों हमारे देश में धनतेरस 13 नवंबर को आता है. और 13 नवंबर को शाम के 7 बचकर 50 मिनट से चतुर्दशी होती है. और उसके कारण धनतेरस के दिन हम नरक चतुर्दशी भी मनाते हैं. और इस वजह से धनतेरस को सबसे ज्यादा लोग मनाते हैं.

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दोस्तों हमारे देश में धनतेरस को लोग बहुत खास तरीके से मनाते हैं. और ज्योतिषियों का कहना यह है कि इस साल धनतेरस को शुभ मुहूर्त 27 मिनिट का माना जा रहा है. और धनतेरस का शुभ मुहूर्त शाम 5 बचकर 32 मिनिट से शुरू होगा. और 5 बचकर 59 मिनिट तक होगा.

धनतेरस पूजा विधि-

1 . दोस्तों सबसे पहले आपको चौकी के आसपास लाल रंग का कपड़ा बिछाना होता है.

2 . दोस्तों अब आपको गंगाजल चौकी के आसपास छिड़कना है. और भगवान धन्वतरी, माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की मूर्ति को स्थापित करना होता है.

3 . दोस्तों आपको भगवान की मूर्ति के आगे देसी घी का दीपक, धूप और अगरबत्ती जलानी आवश्यक है.

4 . दोस्तों अब आपके सामने जो भी भगवान की मूर्ति है. उसको लाल फूल अर्पित करने हैं.

5 . दोस्तों आपने शुभ दिन धनतेरस को कोई भी धातु या फिर ज्वेलरी को खरीदा है. तो उसको आपको चौकी पर रखना है.

6 . दोस्तों अब आपको लक्ष्मी स्रोत, लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और कुबेर स्रोत का पाठ जरूर करना है.

7 . दोस्तों आप को धनतेरस के दिन धनतेरस की पूजा करते दौरान आपको लक्ष्मी माता के जो भी मंत्र आते हैं. वह सारे मंत्र का जाप करना है. और लक्ष्मी देव को मिठाई का भोग लगाना है.

दीपदान का शुभ मुहूर्त:-

दोस्तों धनतेरस के दिन दीपदान की भी मान्यता होती है. और धनतेरस के शाम को 5:32 से लेकर 5:59 के बीच पूजा का मुहूर्त और दीपदान करने का अच्छा मुहूर्त होता है. और आपके पूरे जीवन में बहुत फायदे भी होते हैं 

क्यों किया जाता है दीपदान:-

दोस्तों कई सालों से कहते आते हैं. कि धनतेरस के दिन दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाते हैं. तो बहुत शुभ होता है. और पहले के लोग कहते हैं. कि 1 दिन था उस दिन दूत ने यमराज को पूछा कि अगर कोई अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय होता है. और बाद में यमराज ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति धनतेरस के दिन शाम को यम के नाम का एक दीपक दक्षिण दिशा की ओर रखता है. तो उसका कभी अकाल मृत्यु नहीं होगा. और इस मान्यता के आधार पर लोग धनतेरस के दिन दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाते हैं.

धनतेरस से जुड़ी पौराणिक कथा

दोस्तों पौराणिक कथा के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन पर समुद्र मंथन से धन्वंतरी प्रगट हुई थी. और प्रगट होती है तो क्या देखते हैं. उसके हाथ में कलश बरा अमृत था. और धन्वंतरि भगवान के हाथ में कलश से भरा हुआ अमृत था. और उस दिन से हमारे देश में धनतेरस मनाया जा रहा है. और धनतेरस के दिन गहने खरीदने के साथ-साथ बर्तन खरीदने की भी परंपरा वर्षो से चली आ रही है. और आप बर्तन या फिर गहने खरीदते हैं. तो आपको सौभाग्य, वैभव और स्वास्थ्य में बहुत लाभ होता है. और दोस्तों धनतेरस के दिन देवता कुबेर की दिल से विधि विधान से पूजा करते हैं. 

महालक्ष्मी बीज मंत्र

दोस्तों में आपको महालक्ष्मी का जो मंत्र होता है. वह नीचे बता रहा हूं

ओम श्री श्री आए नमः। :- दोस्तों यह मंत्र को माता महालक्ष्मी का दिया हुआ बीज मंत्र कहते है. और हम धनतेरस के दिन पूरे दिल से मंत्र के साथ जाप करते हैं. तो हमारी जो भी मनोकामना होती है पूरी हो जाती है. और हम पूजा करते हैं उसकी वजह से हमें धन की भी प्राप्ति होती है.

धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त

दोस्तों 12 नवंबर को स्थिर लग्न वर्ष शुभ चौघड़िया शाम को 6 बचकर 32 मिनिट से 7 बचकर 37 मिनिट तक होगा.

दोस्तों 12 नवंबर को स्थिर लग्न सिंह का शुभ मुहूर्त रात को 11:50 से 2: 20 तक और दूसरा 12.10 से 1.45 तक होगा. 

दोस्तों 13 नवंबर को स्थिर लग्न वृश्चिक का शुभ मुहूर्त सुबह 6:51 से लेकर 9:10 तक शुभ मुहूर्त होता है.

दोस्तों 13 नवंबर स्थिर लग्न कुंभ का शुभ मुहूर्त दोपहर को 12:50 से लेकर 1:25 तक होगा.

निष्कर्ष

दोस्तों मैंने आपको इस आर्टिकल में बताया कि धनतेरस की पूजा कैसे करें और आपने हमारा इस आर्टिकल को लास्ट तक पढ़ा है. तो आपको जरूर समझ में आ गया होगा कि आखिर धनतेरस की पूजा कैसे करते हैं. और आपको इस आर्टिकल में कुछ भी दिक्कत का सामना करना पड़ा है. तो आप हमें नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं. हम उस कमेंट का जवाब जरूर देंगे. और आपको इस आर्टिकल को अपने फ्रेंड या फिर अपने फैमिली के साथ जरूर शेयर करना है. क्योंकि यह आर्टिकल पढ़ने के बाद उन लोगों को नॉलेज मिल जाए और आपको इस आर्टिकल को सोशल मीडिया पर इतना वायरल कर देना है. कि आपके एक शेयर करने की वजह से बहुत लोगों का फायदा हो सके तो मिलते हैं अगले आर्टिकल में तब तक के लिए धन्यवाद 

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