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Dialysis Kaise Hota Hai

Dialysis meaning in Hindi:- दोस्तों डायलिसिस का प्रयोग 1940 के साल से जिसको किडनी में समस्या होती है. और उसके इलाज के लिए उपयोग किया जाता है. और दोस्तों हमारी किडनी का यही काम होता है. कि हमारे शरीर के अंदर अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल जैसे पदार्थ होते हैं. और उसको शरीर से निकालना और हमारे रक्त को फिल्टर करना होता है. और अपशिष्ट और विषाक्त आदि पदार्थ हमारे मूत्राशय के द्वारा पेशाब से निकल जाते है. और हमारी किडनी यह काम करने में सक्षम नहीं है. तो हमें डायलिसिस के माध्यम से यह कार्य को करना पड़ता है.

दोस्तों डायलिसिस एक उपचार के रूप मैं किया जाता है. और यह करने के लिए एक मशीन का प्रयोग करना होता है. और उसकी मदद से रक्त को फिल्टर और शुद्ध किया जाता है. और आपके शरीर में गुर्दे अच्छे से काम नहीं करता है. तो यह आपके शरीर के अंदर तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलन में रखने में हेल्प करता है. और मैं आपको इस आर्टिकल में बताऊंगा कि डायलिसिस किस तरह किया जाता है. और हमारे भारत देश में डायलिसिस किसी को करवाना है. तो कितना खर्च आता है.

डायलिसिस क्या होता है

दोस्तो डायलिसिस रोगियों को किया जाता है. और जिनके शरीर के अंदर गुर्दे / किडनी अच्छे से अपना काम करना बंद कर दिया है. और बाह्य समर्थन आपके शरीर के अंदर गुर्दे को काम करने में हेल्प करता है. और यह हमारे जीवन को और लोगों के हिसाब से चलाने के लिए गुर्दे की समस्या वाले रोगियों पेशेंट को हेल्प करता है. और गुर्दे अच्छे से काम करता है. तो द्रव संतुलन का नियमन, यूरिया और यूरिक एसिड आदि के मदद से कचरे को हटाने के लिए मदद रूप होता है. और दोस्तों आपके शरीर के अंदर गुर्दे काम करने में असफल होता है. तो यह हमारे शरीर के अंदर कचरे का उत्पादन का निर्माण करते हैं और लास्ट में ‘ यूरिमिया ‘ की तकलीफ होती है. और तब डॉक्टर हमें डायलिसिस करवाने की सलाह देते हैं.

दोस्तों किडनी सही तरीके से काम नहीं करती है. और उसकी वजह से प्रारंभिक पुष्टि मैं दो रासायनिक रूप से “क्रिएटिनिन स्तर” और “रक्त यूरिया नाइट्रोजन” आदि की माप शामिल होती है. और दोस्तों मैंने जो दो रसायन बताएं है. और उसकी मदद से हमें पता चलता है. कि किडनी के अंदर बर्बाद होने के कौन से उत्पादन को नष्ट करने में ताकत कम पड़ रही है. और यह “क्रिएटिनिन क्लीयरेंस” नाम का जो मूत्र परीक्षण होता है. और उसमें पता चलता है. कि निष्कर्षों की क्षमता को हेल्प करता है.

डायलिसिस के प्रकार

दोस्तों डायलिसिस दो प्रकार के होते हैं. और उसमें पहला प्रकार हेमोडायलिसिस है. और दूसरा प्रकार पेरिटोनियल डायलिसिस है.

हीमोडायलिसिस

दोस्तों यह आपके रक्त के अंदर से कचरे को हटाने और खून में से पानी को दूर करने के लिए फिल्टर का उपयोग होता है. दोस्तों अब आगे आपके हाथ में और पैर में एक धमनी होती है. और आपके नस के बीच में एक प्लास्टिक की ट्यूब होती है. और उसे जोड़ने से यह प्रक्रिया होती है. और दोस्तों अब रोगी के शरीर में से रक्त निकलता है और डायलिसिस के थ्रू जाता है. और आगे जो कचरा होता है. किडनी के अंदर उसे दूसरी तरफ एक सलूशन में से पसार करना होता है.

पेरीटोनियल डायलिसिस

दोस्तों यह डायलिसिस आपके शरीर के अंदर खराब कचरे को और तरल पदार्थ को दूर करने के लिए एक प्लास्टिक ट्यूब के सहारे दर्दी के पेट के गहराई के अंदर तरल पदार्थ को रखता है. और यह फिल्टर के माध्यम से काम करने के लिए रोगियों के शरीर के अंदर पेशियों का सहारा लेता है.

दोस्तों मैंने जो यह 2 तरीके बताएं है. और उसके अंदर फायदे और मर्यादा शामिल है. और दर्दी की लास्ट स्थिति को देखकर और दर्दी की अभी जैसी स्थिति है. और उसको देख कर डिसीजन लेते हैं. और दोस्तों आप को चुना डायलिसिस का प्रकार पता करें. और बाद में अच्छा भोजन का सेवन करना है. और आपको अपने आहार को अच्छा लेना है. और साथ में लिक्विड का भी मर्यादित मात्रा में सेवन करना है. और साथ में दवाओं का सेवन टाइम से करना है.

डायलिसिस के साथ जुड़े जोखिम?

दोस्तों पेरीटोनियल डायलिसिस और हेमो डायलिसिस दोनों एक ही प्रकार की क्रिया है. और इसकी वजह से आपकी जान बच सकती है. मगर इसके कुछ साइड इफेक्ट भी होते हैं.

पेरीटोनियल डायलिसिस के जोखिम

दोस्तों पेरीटोनियल डायलिसिस हमारे पेट के किडनी में कैथेटर साइड के आसपास की जगह पर संक्रमण बढ़ जाने की बहुत संभावना होती है. और दोस्तों उदाहरण से में कहूं तो कोई व्यक्ति कैथेटर क्रिया करता है. तो वहां पेरीटोनियल का अनुभव ले सकता है. और यह हमारे पेट की दीवार को अच्छे से संक्रमण करता है.

पेरीटोनियल में अन्य जोखिमों भी शामिल है

  • यह हमारे शरीर के अंदर सारी मांसपेशियों को कमजोर बनाने में मदद करता है.
  • दोस्तो डायलिसिस में डेक्सट्रोज के कारण ज्यादा ब्लड शुगर बढ़ जाता है.
  • और इसकी वजह से हमारे शरीर में भार बढ़ता है.

हेमो डायलिसिस के जोखिम

दोस्तों हेमो डायलिसिस से जोखिम के बहुत कारण देखने को मिलते हैं.

हेमो डायलिसिस के अंदर बहुत जोखिम के कारण शामिल है

  • हेमोडायलिसिस के अंदर लो ब्लड प्रेशर का जोखम रहता है.
  • हेमोडायलिसिस की वजह से एनीमिया और अन्य कोशिका का अभाव होता है.
  • हेमोडायलिसिस की वजह से मांसपेशियों में दबाव बढ़ जाता है.
  • हेमोडायलिसिस की वजह से दोस्तों आपको नींद में भी दिक्कत आती है.
  • हेमो डायलिसिस की वजह से आपको शरीर में खुजली का भी एहसास होता है.
  • हेमो डायलिसिस की वजह से हमारे शरीर के अंदर रक्त बहुत बढ़ जाता है.
  • हेमोडायलिसिस की वजह से हमें डिप्रेशन का भी एहसास होता है.
  • दोस्तों पेरिकार्डिटिस हमारे ह्रदय के आसपास सूजन ज्यादा कर देती है.

भारत मैं डायलिसिस का कुल खर्च

दोस्तों आपकी किडनी के अंदर स्टार्ट में ही कोई दिक्कत हो रही है. तो आप डायलिसिस की हेल्प ले कर अपने किडनी और अपने पूरे जीवन को अच्छे से जीने के लिए बना सकते हैं. और दोस्तों आपको हेमो डायलिसिस कराना है. तो हर महीने में 12000 से ₹15000 हजार का खर्च होता है. और दोस्तों आपको पेरीटोनियल डायलिसिस करवाना है. तो आपको 18000 से ₹20000 हजार हर महीने के हिसाब से पे करना होता है.

निष्कर्ष

दोस्तों मैंने आपको इस आर्टिकल में बताया कि डायलिसिस कैसे होता है? और आपने हमारे इस आर्टिकल को लास्ट तक पढ़ा होगा. तो आपको समझ में आ गया होगा. कि आखिर डायलिसिस कैसे होता है? डायलिसिस का कितना खर्चा आता है? डायलिसिस के कितने साइड इफेक्ट होते है. डायलिसिस करवाने से हमारे शरीर में कितनी राहत मिलती है? और यह सब आपको पता चल गया होगा. और आपको यह आर्टिकल पढ़कर नॉलेज मिला है. तो आप इस आर्टिकल को अपने फ्रेंड या फिर अपने फैमिली मेंबर के साथ जरूर शेयर करें. क्योंकि यह नॉलेज उन लोगों को भी मिल जाए. और आपको इस आर्टिकल में कुछ भी दिक्कत का सामना करना पड़ा है. तो आप हमें नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं. और हम उस कमेंट का जवाब जरूर देंगे. और आपको इस आर्टिकल को सोशल मीडिया पर इतना वायरल कर देना है. कि आपके एक शेयर करने की वजह से बहुत लोगों का फायदा हो सके. तो मिलते हैं. अगले आर्टिकल में तब तक के लिए धन्यवाद.

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