एक गांव में ब्राह्मण और उसके साथ उसकी पत्नी रहते थे। लेकिन उनकी कोई भी संतान नहीं थी, लेकिन उनके पास एक नेवला पालतू तौर पर रहता था। और जो ब्राह्मण की पत्नी थी वह वह नेवले को संतान की तरह प्यार करती थी। और कुछ देर बाद ब्राह्मणी को संतान की प्राप्ति होती है। संतान की प्राप्ति के बाद यह ब्राह्मण परिवार पूरी तरह से संपूर्ण हो चुका था।एक दिन ब्राह्मण को दिमाग में एक आशंका हुई कि नेवला उनके पुत्र को अगर कुछ नुकसान पहुंचा है इससे पहले उसे घर से निकाल देना चाहिए। लेकिन इस बात पर उनकी पत्नी ने मना कर दिया। इसके बाद ब्राह्मण का संतान और वह नेवला बहुत ही करीबी दोस्त बन गए थे और साथ में खेलते रहते थे। नेवला अपने भाई से अप्रतिम प्रेम करने लगा था। इसी बीच एक दिन, जब वह ब्राह्मण अपना काम करने गया था तब वह ब्राह्मण की पत्नी उसके बच्चे को पालने के अंदर छोड़कर सुलाकर वह पानी भरने के लिए तालाब की ओर चली गई।
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जब वह ब्राह्मणी पानी भरने के लिए बाहर गई, उसने वह नेवले को बच्चे की रक्षा करने के लिए वहां छोड़ दिया। इसी बीच घर के अंदर अचानक से साफ आ जाता है। और जब वह 7 बच्चे की तरफ जा रहा था वही अचानक से नेवले ने उस शॉप पर हमला कर दिया और सब को जान से मार डाला।
इसके बाद जब वह ब्राह्मणी पानी भरने के बाद वापस अपने घर लौटी तब वह नेवले ने अपने मुंह पर रक्त लगाए हुए उस पत्नी का स्वागत किया। यह देख कर ब्राह्मण की पत्नी बहुत ही डर गई। उसने मन ही मन ऐसा सोच लिया कि नेवले ने बच्चे को जान से मार डाला है। बिना कुछ सोचे समझे वहां ब्राह्मणी ने अपना पानी से भरा हुआ बर्तन वह नेवले के ऊपर मार दिया और वह नेवला मर गया। इसके बाद वह ब्राह्मण ही जब अंदर के रूम में जाती है तब वह देखती है कि उसका बच्चा खुशी-खुशी से अपने पालने के अंदर खेल रहा होता है, और उसके बाजू में ही मरा हुआ सांप उसे मिलता है, इसी के साथ वह ब्राह्मणी को एहसास हो जाता है कि उसने बहुत ही गलत कर दिया है। उसने अपने पुत्र समान नेवले को बिना कुछ देखें और बिना कुछ सोचे समझे मौत के घाट उतार दिया जबकि वह नेवले ने उस ब्राह्मण के बच्चे को सांप को मारकर रक्षा भी की थी।
सीख: हमें अपने जीवन में कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले हमेशा अच्छे से सोच लेना चाहिए कि इसकी वजह से आगे जाकर हमारे जीवन में कोई संकट ना आए। पूरी छानबीन और देखरेख करने के बाद ही आगे बढ़ना चाहिए। जबकभी भी आप बहुत ही खुश हो या फिर बहुत ही गुस्से में हो तभी किसी भी प्रकार का निर्णय नहीं लेना चाहिए क्योंकि कभी कभी हमारी खुद की आंखें भी हमें धोखा दे सकती है।