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पंचतंत्र की कहानी: आलसी गधा (panchtantra ki kahani: The Lazy Donkey)

एक छोटा सा गांव था और उसके अंदर एक मेहनती और बहुत ही साधारण व्यापारी रहता था. उसके पास एक गधा था और वह व्यापारी अपने गधे से बहुत प्यार करता था और वह गधा भी अपने मालिक से बहुत ही प्यार करता था लेकिन वह गधा बहुत ही आलसी और एक प्रकार से काम चोर था.वह व्यापारी अपने गधे पर सामान रखकर हर रोज बाजार में बेचने जाता और वापस लेकर भी आता. लेकिन वह गधा कामचोर होने की वजह से उसे यह काम बिल्कुल भी पसंद नहीं आता था.

एक दिन यह व्यापारी को पता चला कि बाजार के अंदर नमक की बहुत ही ज्यादा मांग है. यह जानकर व्यापारी ने निर्णय लिया कि आज के बाद वह नमक का व्यापार शुरू कर देगाउसे यह भी पता चला कि व्यापार करने में फायदा भी रहेगा.

इसके बाद अगले दिन से व्यापारी ने नमक का व्यापार शुरू कर दिया और नमक की बोरियां गधे की पीठ पर रखकर बाजार की ओर चल पड़ा. नमक की बोरियों का वजन बहुत ही ज्यादा था कैसे भी करके वह गधा आधे रास्ते तक तो पहुंच ही गया था.

बाजार जाते वक्त रास्ते में एक पुल पड़ता था. वह पुल के नीचे से एक नदी बहती थी.पीठ पर वजन ज्यादा होने की वजह से वह गधा लड़खड़ा कर उस नदी में अचानक से गिर गया.व्यापारी घबराकर तुरंत ही हो गधे को वापिस पानी से निकालकर पुल पर लेकर आया.लेकिन इसके बाद गधे ने महसूस किया कि उसके पीठ पर वजन कम हो चुका है क्योंकि ज्यादातर नमक पानी में घुल चुका था.

गधे को यह तरकीब मिल गई थी कि वहां अपनी पीठ पर से वजन कम कर सकता है. तो वहां गधा हर रोज जानबूझकर नदी में गिर जाता था और अपनी पीठ पर वजन कम कर देता था. इसकी वजह से वह व्यापारी को बहुत ही बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा था लेकिन व्यापारी भी वह गधे की इस चालाकी को समझ गया था और उसने सोचा कि इस गधे को उसे सबक सिखाना चाहिए.

व्यापारी ने अगले दिन से गधे की पीठ पर रूई की गुड़िया ला देना शुरू कर दिया जब कभी भी नदी आने पर सदा पानी में गिरता था तब वह रोई पानी को सोख लेती थी और बोरियों का वजन तिगुना हो जाता था. ऐसा 2 से 3 दिन तक चलता रहा और वह गधा समझ गया और अगले दिन से वहां पानी में गिरे बिना ही चुपचाप पुल पार करने लगा.

इस दिन के बाद से वह गधा सुधर गया था और चुपचाप आलसी पन दिखाए बिना सभी काम करने लगा था और इसके बाद वहां व्यापारी का नुकसान होना भी बंद हो गया था और वह दोनों बहुत ही अच्छे से काम करके अपना जीवन निकाल रहे थे.

सीख – इस कहानी के अंदर से गधे की तरह हमें आलस नहीं करनी चाहिए और अपना कर्तव्य और काम हमेशा निष्ठा से और पूरी तरह से मेहनत से करना चाहिए.और व्यापारी की तरह अगर हम अपने काम के अंदर सोच और सूझबूझ से करें तो विपरीत परिस्थितियों की हाजिरी में भी हम अपना काम बहुत ही आसानी से सफलता से पूरा कर सकते हैं.

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