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आखिर हम गुरु पूर्णिमा क्यों मानते है, इसका महत्व क्या है

पाठक मित्रों आज मैं आपके लिए लेकर आया हूं एक नई पोस्ट जिसके अंदर में आपको बताऊंगा कि गुरु पूर्णिमा का त्योहार हमारे देश के अंदर क्यों मनाया जाता है. तो चलिए गुरु पूर्णिमा के लिए यह पोस्ट शुरू करते हैं जो नीचे दी गई है.

गुरु पूर्णिमा क्या है

जैसे की हम सब लोग जानते हैं कि हमारे देश के अंदर गुरु और शिष्य के बीच का जो रिश्ता होता है वह बहुत ही पवित्र माना जाता है और हम सब शिष्य हमारे गुरू को देव तुल्य गिनते हैं.  हमारे गुरु के प्रति सम्मान और कृतज्ञता दर्शाने के लिए गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है. हमारे देश में यह मान्यता है कि अगर हम गुरु पूर्णिमा के दिन हमारे गुरु का आशीर्वाद लेते हैं तो हमारा जीवन और कैरियर सफल हो जाता है.

 और गुरु पूर्णिमा हमारे गुरु के प्रति हमारा सम्मान, भक्ति और समर्पण की भावना को दिखाता है. हर किसी महान व्यक्ति के लिए कोई ना कोई तो दिन होता है, इसी हिसाब से हमारे टीचर के लिए एक महत्वपूर्ण दिन होता है जिसे हम गुरु पूर्णिमा कहते हैं.

गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है

 हमारे माता-पिता हमें जन्म तो देते हैं सारी साथ हमारा पालन-पोषण भी करते हैं. लेकिन हमारे गुरु ही एक ऐसे व्यक्ति हैं जो हमारे अंदर छिपी हुई प्रतिभा को पहचान लेते हैं और हमें सच्चा मार्ग दिखा कर हमारी कार किसी को सफल बनाने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

 हमारा गुरु ही होता है जो हमें गलत मार्ग पर जाने से रोकता है और सही रास्ते की ओर मुड़ता है. पौराणिक कथाओं की मानें तो कई ऐसी पौराणिक कथाएं मिलती है जिसमें यह बताया जाता है कि किसी भी व्यक्ति को महान बनाने के पीछे हमेशा उसके गुरु का ही योगदान होता है.

हमारे भारत देश के महान ग्रंथ के अनुसार भी रामायण से लेकर महाभारत तक हमेशा एक गुरु का स्थान सबसे महत्वपूर्ण और सर्वोच्च गिना गया है.

गुरु पूर्णिमा कब मनाई जाती है

गुरु पूर्णिमा का दिन हम बनाते हैं महर्षि वेदव्यास की वजह से. एक मान्यता यह भी है कि महर्षि वेद वास का जन्म गुरु पूर्णिमा के पुण्य अवसर पर हुआ था. उनका जन्म आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हुआ था और हम सब हर साल इसी वाले दिन पर गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाते हैं.

 आज से लगभग 3000 साल इसवी सन पूर्व महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हुआ था यह बात हमारे कई वेद, उपनिषद और पुराणों के अंदर लिखा हुआ है. इसीलिए हम सब लोग महर्षि वेदव्यास जी को समर्पित करते हैं गुरु पूर्णिमा का यह दिन.

 एक और मान्यता भी है कि इसी वाले दिन पर महर्षि वेदव्यास ने अपने सभी शिष्यों को पहली बार श्रीमद्भगवद्गीता का ध्यान पढ़ाया था. गुरु पूर्णिमा के दिन को व्यास पूर्णिमा की तौर पर भी बोला जाता है. हमारे शास्त्रों और पुराणों के अंदर महर्षि वेदव्यास जी को तीनों कालों के ज्ञानी के तौर पर बताया गया है.

गुरु पूर्णिमा का दिन कैसे मनाया जाता है

 गुरु पूर्णिमा के लिए एक बहुत ही खास होता है अपने गुरु के लिए सम्मान प्रकट करता है. इस वाले दिन पर भारत देश के अंदर सभी स्कूल और कॉलेजों के अंदर फंक्शन किया जाता है जिसमें शिष्य अपने गुरु के बारे में अच्छी बातें करते हैं और भाषण देते हैं. मान्यता के अनुसार अगर हम लोग इस वाले दिन पर अपने गुरु का आशीर्वाद लेते हैं तो हमारे जीवन में कभी भी कष्ट नहीं आता है और हमें सर्व संपन्न ज्ञान की प्राप्ति होती है.

गुरु पूर्णिमा का महत्व

हमारे जीवन में माता-पिता के बाद सबसे ज्यादा महत्व गुरु का ही होता है. हमें अपना गुरु उससे भी ज्यादा बेहतर बनाने की कोशिश करता है और हमें अध्यात्म के मार्ग पर चलने की सलाह देता है. गुरु और शिष्य का रिश्ता जन्म जन्मांतर का होता है और बड़ा ही अलौकिक होता है जिसके अंदर स्वार्थ की कोई भी संभावना नहीं होती.

पौराणिक शास्त्रों में यह कहा गया है कि शिष्य के जीवन के अंधकार को प्रकाशित करता है उनका गुरु और गुरु पूर्णिमा है कैसे पूर्णिमा है जो साल भर में आने वाली सारी पूर्णिमा और से बढ़कर मानी जाती है.

गुरु पूर्णिमा के पर्व पर कुछ सवाल जवाब

 प्रश्न – गुरु पूर्णिमा कब मनाई जाती है?

  उत्तर –  गुरु पूर्णिमा पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है

 प्रश्न –  गुरु पूर्णिमा में किसकी पूजा करते हैं?

 उत्तर –  गुरु पूर्णिमा के पर्व पर हम अपने गुरुजनों, माता पिता और श्रेष्ठ जनों का आभार व्यक्त करते हुए गुरु पूर्णिमा मना सकते हैं 

निष्कर्ष

 दोस्तों अंत में मैं आपसे यही कहूंगा कि हमें सभी गुरु की बात माननी चाहिए और उनका आदर करना चाहिए और इसी के साथ अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई है तो इसे ज्यादा से ज्यादा अपने परिवार और दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें. धन्यवाद.

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